सिरिधान्य प्रोटोकॉल (Siridhanya Food Protocol) एक जीवन शैली है, यह स्वस्थ जीवन जीने का एक तरीका है। यह आहार है, यह दवा नहीं है। जैसा की डॉ. खादर कहते हैं – यदि आपका भोजन सही है, तो आपको दवा की आवश्यकता नहीं है। इसलिए सिरिधान्य लाइफस्टाइल इसके लिए अधिक उपयुक्त शब्द होगा।
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सिरिधान्य लाइफस्टाइल (सिरिधान्य प्रोटोकॉल) के 4 प्रमुख घटक हैं –
- सिरिधान्य लाइफस्टाइल के मूल नियम (Do’s and Don’ts List) – यह एक सूची है जिसमें यह बताया गया है कि किन चीजों को उपयोग में नहीं लाना चाहिए और उन्हें किन चीजों से बदला जा सकता है।
- हर्बल ड्रिंक (Kashayam या Kasayam) – प्रत्येक स्थिति के लिए डॉ. खादर विशिष्ट पत्तियों का पानी बताते हैं जिन्हें कोई भी आसानी से घर पर बना सकता है।
- सिरिधान्य मिलेट(पॉजिटिव मिलेट) – 5 पॉजिटिव मिलेट (कोडो – कोदरा, लिटिल – कुटकी, फॉक्सटेल – कंगनी, बार्नीयार्ड – झंगोरा, ब्राउनटॉप – हरी कंगनी) सिरिधान्य फूड प्रोटोकॉल के मूल हैं। इन अनाजों में रोग प्रतिवर्ती गुण होते हैं जो अन्य सभी अनाजों जैसे गेहूं, चावल, बाजरा, ज्वार आदि से बेजोड़ होते हैं।
- कोल्हू के तेल (कोल्ड-प्रेस्ड ऑयल्स) – अच्छी वसा सिरिधान्य लाइफस्टाइल में विशेष स्थान रखती है और डॉ. खादर बैल चालित कोल्हू का उपयोग करके निकाले गए तेल का उपयोग करने का सुझाव देते हैं क्योंकि यह विधि बीजों के सभी प्राकृतिक गुणों को बनाए रखती है।
1. सिरिधान्य लाइफस्टाइल के बुनियादी नियम (क्या करें और क्या न करें)
आइए इनमें से प्रत्येक को विस्तार से समझते हैं –
इनसे बचें ❌ | इन का उपयोग करें ✅ |
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दूध और दूध से बने उत्पाद | देसी गाय का दही, लस्सी, छाछ, देसी गाय का घी। मूंगफली का दूध, नारियल का दूध, तिल का दूध आदि। |
चावल, गेहूं | मिलेट |
रिफाइंड तेल (कोई भी ब्रांड या प्रकार का हो) | कोल्हू से निकला तेल (कोल्ड-प्रेस्ड) किसी भी प्रकार का हो (जैसे सरसों, मूंगफली, नारियल, तिल आदि) |
पशु उत्पाद, मांस, अंडे | देसी दालें, अंकुरित अनाज, स्थानीय और मौसमी फल और सब्जियाँ |
चीनी, गुड़ | ताड़ का गुड़ (पाम का गुड़) |
चाय कॉफी | हर्बल पेय, काढा |
बेकरी आइटम | घर का बना सामान, नमकीन |
नॉन-स्टिक कड़ाही, पैन | लोहे, कास्ट आयरन की कड़ाही, पैन |
एल्युमिनियम के बर्तन | स्टील, तांबा, पीतल, मिटटी के बर्तन |
प्लास्टिक जार, डिब्बे | कांच के जार, डिब्बे |
रिफाइंड नमक, सफेद नमक, आयोडीन युक्त नमक | सैंधा नमक, हिमालयन लाल नमक |
आर.ओ., यू.वी. फिल्टर पानी | ताँबे से साफ़ किया पानी |
2. काशयम या कषाय (हर्बल चाय)
पारंपरिक रूप से हर्बल काढ़े को पीना एक बहुत पुरानी प्रथा रही है। हमारी दादी माँ भी लक्षणों के आधार पर अलग-अलग ‘कषाय’ सुझाती थीं। डॉ. खादर वली के अनुसार, सिरिधान्य खाने के साथ-साथ ‘कषाय’ (हर्बल ड्रिंक) पीने से घातक बीमारियों को दूर रखा जा सकता है।
कषाय क्या है – कषाय एक सरल विधि है जो काढ़ा या हर्बल चाय या प्राकृतिक पेय या ग्रीन टी के समान है। कषाय पौधे की पत्तियों, छाल, तने या जड़ों / कंदों से बनाए जाते हैं।
प्रत्येक सिरिधान्य प्रोटोकॉल के लिए डॉ. खादर कशाय के लिए 3-5 पत्तों का नाम बताते हैं और आप सूची से कोई भी 3 पत्ते ले सकते हैं। एक सप्ताह के लिए एक पत्ते का कषाय लें और फिर दुसरे पत्ते का, फाईर तीसरे पत्ते का.
ताजी पत्तियों को लेना सबसे अच्छा है, अगर आप रोजाना ताजी पत्तियां नहीं ला सकते हैं, तो आप पार्क, नर्सरी के पास से कई साडी पत्तियों एकत्र कर सकते हैं और इसे एक सप्ताह तक फ्रिज में रख सकते हैं और इनका उपयोग रोजाना कर सकते हैं। आप तने का उपयोग भी कर सकते हैं। कभी भी सुखी पत्तियों, पाउडर का उपयोग न करें क्योंकि वे उतने लाभकारी नहीं होंगे।
काशयाम हमारी कई तरह से मदद करता है। यह हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद करता है, यह हमारे शरीर को डिटॉक्स करने में भी मदद करता है, और प्रीबायोटिक्स के रूप में भी कार्य करता है (आंत में लाभकारी सूक्ष्मजीवों के विकास में मदद करता है)।
3.सिरिधान्य मिलेट
सिरिधान्य जिसे आमतौर पर मिलेट (या शुक्ष्म अनाज, पॉजिटिव मिलेट) भी कहा जाता है। वे छोटे अनाज हैं जो बहुत कम पानी के साथ भी कीटनाशकों, उर्वरकों की मदद के बिना बढ़ते हैं। ये पांच मिलेट हैं – कोडो मिलेट, फॉक्सटेल मिलेट, बारनयार्ड मिलेट, ब्राउनटॉप मिलेट, लिटिल मिलेट।
प्रत्येक प्रोटोकॉल में दिए अनुसार 5 मिलेट को खाना बताया गया है। एक उदाहरण लेते हैं – यदि आपका प्रोटोकॉल बताता है –
- कोडो – 2
- फॉक्सटेल – 2
- बारनयार्ड – 1
- ब्राउनटॉप – 1
- लिटिल – 1
इसका मतलब है, आप कोडो के साथ शुरू करते हैं और दो दिन (1-ला और 2-रा दिन) कोडो खाना हैं, और फिर तीसरे दिन से आप फॉक्सटेल शुरू करते हैं और दो दिन (3-रा और 4-था दिन) फॉक्सलेट खाते हैं और पांचवें दिन खाते हैं (एक दिन के लिए) बारनयार्ड और फिर 6-ठे दिन आप ब्राउनटॉप खाते हैं, और अंत में 8 वें दिन आप लिटिल खाते हैं।
एक बार जब यह चक्र पूरा हो जाता है तो आप कोडो वापस शुरू करते हैं और फिर ऐसे जारी रखते हैं।
मिलेट के सेवन, पकाने के कुछ महत्वपूर्ण नियम –
- पकाने से पहले मिलेट को कम से कम 6-8 घंटे के लिए भिगोएँ
- भिगोने से पहले एक बार धोएं
- यदि आप चाहें तो आप भिगोने के लिए उपयोग हुआ पानी इस्तेमाल कर सकते हैं
- केवल अन-पॉलिश्ड मिलेट या बुच्ची तरीके से साफ की गयी मिलेट ही उपयोग करें – यदि आपको पुरानी समस्या या गंभीर स्वास्थ्य समस्या है तो यह और भी महत्वपूर्ण है
- यदि आपको कोई पुरानी समस्या या गंभीर स्वास्थ्य समस्या है तो डॉ. खादर 6-8 सप्ताह के लिए अम्बालि (खमीर वाला दलिया, फर्मेन्टेड दलिया) का सेवन करने का सुझाव देते हैं। यह आंत माइक्रोबायोटा को बनाए रखने और संतुलित करने में मदद करता है।
- यद्यपि आप मिलेट के साथ कोई भी व्यंजन बना सकते हैं, लेकिन डॉ. खादर ने सुझाव दिया है कि मिलेट का सेवन गंजी (दलिया) के रूप में या अंबाली के रूप में कम से कम 10-15 दिनों में एक बार करें।
बाजरा के बारे में अधिक जानने के लिए, इन वीडियो को जरूर देखें –
ALL ABOUT MILLET
Negative Millet, Neutral Millet, Positive Millet
– WholesomeTales
SIRIDHANYA MILLET
Minor Grains, Positive Millet
– WholesomeTales
MILLET COOKING, MEAL PLAN
How to Design Millet Meal for Family, Complete Chart. Sujata Gupta in discussion with Meghna Shukla
4. कोल्हू तेल या कोल्ड-प्रेस्ड तेल (कच्ची घानी तेल)
कैंसर के बढ़ने के प्रमुख कारणों में से एक है रिफाइंड तेल जिसका हम उपयोग करते हैं। कच्चे तेल को जब साफ़ किया जाता है तो इस प्रक्रिया में कई जरुरी तत्व निकल जाते हैं। यह खनिज तेल अन्य सिंथेटिक रसायनों के साथ बाद में सूरजमुखी और नारियल के तेल के साथ मिलाया जाता है और इससे फिर वे बाजार में पैक कर बेचे जाते हैं।
‘कोल्हू’ से पारंपरिक तरीकों का इस्तेमाल करके बीजों / पौधों से ठंडी मिल में बनाये गए तेल निकाले जाते हैं। सरसों के बीज के प्राकृतिक स्वाद और पोषण को बनाए रखने के लिए कम तापमान में एक प्राकृतिक लकड़ी के रोलर से निकला जाता है और घुमाने के लिए बैल का उपयोग किया जाता है।
ठंडे तरीके से कोल्हू से निकले तेल स्वस्थ एंटीऑक्सिडेंट को बनाए रखते हैं जो अन्यथा गर्मी के संपर्क में आने से समाप्त हो जाते हैं। एंटीऑक्सिडेंट शरीर में कोशिका को क्षति से बचाने में मदद करते हैं। अधिकांश कोल्हू तेल विटामिन-ई से भरपूर होते हैं जिसमें शरीर में सूजन कम करने और कई औषधीय गुण होते हैं।
तेलों का सेवन कैसे करें?
आपको खाना पकाने में कोल्हू के तेलों (कच्ची घानी) का सेवन करना चाहिए। आप 2-3 अलग-अलग तेल घर में रख सकते हैं जो आपके क्षेत्र में रूप से उपलब्ध हैं और उनको बदल बदल कर इस्तेमाल करें।
इसके अलावा डॉ. खादर सुबह 2-3 चम्मच कच्ची घानी तेल खाली पेट लेने का सुझाव देते हैं। इन तेलों में स्वस्थ वसा होती है जो कई स्थितियों जैसे पी.सी.ओ.डी., थायराइड, ए.डी.एच.डी. और कई अन्य तकलीफों में मदद करती है।
आप खाना पकाने के लिए किसी भी उपलब्ध कच्ची घानी तेल का उपयोग कर सकते हैं, लेकिन ख़ास शारीरिक अवस्था के लिए विशिष्ट तेल बताये हैं जिनका आपको सुबह सेवन करना चाहिए। अधिक जानकारी के लिए प्रोटोकॉल की लिस्ट को देखे।
डॉ. खादर लाइफस्टाइल की और जरुरी बातें –
- नियमित रूप से टहलें। दैनिक लगभग एक घंटे के लिए सैर करना बहुत लाभदायक है ।
- हमेंशा तांबे के बर्तन में रखा पानी पिएं।
- खाना पकाने के रिफाइंड तेल का उपयोग करना बंद करें। कच्ची घाणी के तेलों का उपयोग करने की आदत बनाएं।
- चावल और गेहूं के बजाय मुख्य भोजन के रूप में 5 सिरिधान्य मिलेट खाना शुरू करें। कोई भी दो अन्नाज एक साथ न पकाएं
- एक सप्ताह में एक बार खजूर के साथ तिल के लड्डू या एक चम्मच सूखे भुने हुए तिल खाएं।
- अपनी बीमारी के लिए निर्धारित दवाइयाँ लेना जारी रखें। कषाय और सिरिधान्य उपयोग में लाएं । अपने चिकित्सक से परामर्श कोई अनुसार दवाएं लेना धीरे धीरे पूरी तरह से बंद किया जा सकता है।
नयी सिरिधान्य प्रोटोकॉल (पी.डी.एफ. पुस्तक) डाउनलोड करें
यहां नवीनतम डॉ. खादर सिरिधान्य प्रोटोकॉल पी.डी.एफ. पुस्तकों के लिंक दिए गए हैं। इन दोनों पुस्तकों को सितंबर 2020 में जारी किया गया था। प्रकाशन टीमों के अनुसार – इन दोनों पुस्तकों की समीक्षा डॉ. खादर वली और डॉ. सरला खादर द्वारा की गई है। अधिक प्रश्नों या शंकाओं के लिए कृपया संबंधित प्रकाशक की टीमों से संपर्क करें, जिनकी जानकारी पुस्तकों में दी गयी है।
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